विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस और पत्रकारिता !
बुरहानपुर (न्यूज़ढाबा )–विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर बुरहानपुर में कार्यरत सभी पत्रकारों एवं बुरहानपुर प्रेस क्लब के सभी पदाधिकारियों एवं सदस्यों को हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं।
सर्दी हो, गर्मी हो, बरसात हो पत्रकार की कलम कभी नहीं रुकती। वह न सर्द होती है और ना गर्मी खाती है ।अपितु समशीतोष्ण रहकर जो सच है उसे सच लिखती है, जो गलत है उसे गलत लिखती है।
बुरहानपुर की पत्रकारिता का इतिहास लगभग भारतीय स्वतंत्रता दिवस के पहले से माना जा सकता है। यहां पूर्व में स्वर्गीय श्री गुलाबचंद जी जलगांव वाले ,श्री लक्ष्मी दास जी मास्टर, श्री मोहनचंद जी यादव ,श्री गुलाबचंद जी पूर्वे,श्री बृजलाल यादव बृजेश, श्री तनवंत सिंह जी कीर ,श्री विजय कुमार सिंह शिंदे, श्री बलवीर सिंह अरोड़ा, श्री सुभाष पाटीदार, श्री नारायणदास जी नावानी ,श्री रामेश्वर दास स्वामी ,ठाकुर विजय बहादुर सिंह ,श्री विनोद दलाल आदि पत्रकारों ने बुरहानपुर की पत्रकारिता को अपने समय में गति दी और गांव-गांव में पत्रकारिता की जड़ें मजबूत की।यहां मैंने जो दिवंगत पत्रकार हैं उन्हीं का नाम उल्लेख किया है। जो वर्तमान में पत्रकारिता के क्षेत्र में सक्रिय हैं उनके योगदान को भी विस्मृत नहीं किया जा सकता किंतु नाम किसी का छूटे नहीं इसलिए किसी का नाम नहीं लिखा है। आज बुरहानपुर में प्रिंट एवं इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के क्षेत्र में 100 से अधिक पत्रकार सक्रियता से कार्य कर रहे हैं। भ्रष्टाचार को उजागर कर रहे हैं। समाज की समस्याओं को तरजीह देकर उभार रहे हैं और उनके समाधान की दिशा में सक्रिय हैं। मैं इन सभी पत्रकारों को अपनी शुभकामनाएं देता हूं कि वह अपने दिवंगत पत्रकारों के नाम एवं काम के अनुरूप कम करें और अपना नाम कमाएं।
सच को सच कहने की वैसे जरूरत नहीं होती क्योंकि सच तो सामने आ ही जाता है लेकिन यह पत्रकारिता का दम है कि उसने यह धारणा स्थापित की है कि सच को सच कहने के लिए भी एक सच्चे पत्रकार की आवश्यकता होती है। पत्रकारिता को सच कहने और सभी से सच कहलवाने की अवधारणा पत्र कारिता ने बनाई है।वाल्टेयर का कहना था कि हम भले ही आपके विचारों से सहमत ना हो किंतु उसे व्यक्त करने का अवसर तो देंगे ही। पत्रकारिता ने देश में ही नहीं विदेश में भी अपनी सफलता के झंडे गाड़े हैं ।वे अनेक तानाशाही राज्य सत्ताओं के लिए वाटरलू सिद्ध हुए हैं और इसी निष्ठा के कारण जन समर्थन पत्रकारिता को मिला है। हमारे देश में लोकतंत्र है जिसके तीन स्तंभ माने गए हैं -विधायिका ,कार्यपालिका और न्यायपालिका ,किंतु पत्रकारिता के महत्व को देखते हुए आज लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में खबर पालिका अर्थात पत्रकारिता को स्थान मिला है और आज पत्रकारिता विधायिका ,कार्यपालिका और न्यायपालिका सभी को प्रभावित कर रही है ,आइना दिखा रही है और खुद के आईने में इन तीनों को देख रही है। आज लोकतंत्र का पर्व लोकसभा चुनाव 2024 चल रहा है ,ऐसे में पत्रकारिता और अधिक प्रासंगिक हो गई है ।क्या कोई सोच सकता है कि अनेक लोगों के लिए पार्टियों ने टिकट इसलिए नहीं दिए क्योंकि पत्रकारों ने उनके कारनामे उजागर कर उन पर दबाव बनाया कि वह उन्हें टिकट नहीं दे ।चलते चुनाव के मध्य भी भ्रष्टाचार उजागर कर अनेक व्यक्तियों को ही नहीं अपितु पार्टियों को भी इस चुनाव में अप्रासंगिक दिया है। जीती हुई बाजी पार्टियां हार रही हैं,तो यह पत्रकारिता के कारण आज संभव हुआ है।
आज पत्रकारिता के क्षेत्र में पुरुषों के साथ महिलाएं भी राष्ट्रीय पटल पर सक्रिय हैं और उनकी पत्रकारिता का प्रभाव क्षेत्र देशव्यापी हुआ है ।इससे नारियों को एक नया क्षेत्र मिला है जिसमें नाम भी है ,काम भी है और पैसा भी है ।आज पत्रकारिता मात्र मिशन नहीं अपितु व्यापार भी है ।इसलिए व्यापारिक दृष्टि से भी पत्रकारिता ने अन्य व्यापार के क्षेत्रों प्रभावित किया है। आज कौन ऐसा व्यक्ति है जो विज्ञापन नहीं चाहता हो और विज्ञापन का आधार पत्रकारिता ही बन रही है ।दूरदर्शन, टीवी चैनल, आकाशवाणी, मोबाइल, ट्यूटर इंस्टाग्राम ,फेसबुक ,व्हाट्सएप ,ईमेल यूट्यूब, वीडियो आदि साधन पत्रकारिता के लिए बन गए हैं। प्रिंट मीडिया की दृष्टि से पत्र और पत्रिकाएं तो हैं ही ।आज पत्रकारिता के सामने एक चुनौती यह भी है कि पाठक देखने अधिक लगा है, पढ़ने कम । ऐसे में हमें पत्रकारिता को पठनीय बनाने की आवश्यकता है ,क्योंकि जो पठनीय होगा वही मननीय होगा। निष्पक्षता ,निर्भीकता सदाशयता का संबंध पत्रकारिता से है ।इसमें संघर्ष भी है और सफलता भी ।अपने मत को जनमत में बदलना पत्रकारिता का कार्य रहा है या इसे इस तरह भी कह सकते हैं कि जनमत को अपना मत बनाकर प्रस्तुत करना पत्रकार का कार्य है। पत्रकार समाज की दशा बताते हैं चाहे वह राजनीतिक क्षेत्र हो, आर्थिक क्षेत्र हो, सांस्कृतिक क्षेत्र हो या सामाजिक क्षेत्र हो ।सभी में पत्रकार की पैनी कलम अपना असर दिखाती है। यह एक निरंतर चलने वाली प्रक्रिया है और इसे कोई नहीं रोक सकता ।
पत्रकारिता तथ्य परक होती है और इसमें पत्रकार का कोई दोस्त या दुश्मन नहीं होता । हम जो लिखें वह तथ्यात्मक हो ,वास्तविक हो, सामाजिक प्रबोधन के लिए हो, जनमत तैयार करने के लिए हो, ऐसी भावना हर एक पत्रकार को रखना चाहिए ।मैंने और मेरे अग्रजों ने 4 अक्टूबर 1984 से पार्श्व ज्योति पत्र निकालकर पत्रकारिता शुरु की थी। आज उसे लगभग 40 वर्ष हो गए हैं। और इन वर्षों में हमने जाना है कि समाज से जुड़ो ,समाज के हित को ध्यान रखो तो पत्रकारिता स्वीकार्य होती है ।दबाव की पत्रकारिता चंद दिनों की मेहमान है और उसका विदा होना तय है।अतः हम स्वतंत्रता के साथ आगे बढ़ें,खबर को खबर रहने दें,नमकीन या मिष्टान्न बनाने का प्रयास नहीं करें ।यही पत्रकारिता के पल्लवन ,पोषण के लिए आवश्यक है। आप सभी पत्रकारों के लिए पुनः बधाई ।
शुभेच्छु
डॉक्टर सुरेन्द्र जैन भारती
प्रधान संपादक- पार्श्व ज्योति मासिक,बुरहानपुर

