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(न्यूज़ ढाबा) शिक्षा, सेवा, साधना का सम्मान अमृत महोत्सव सार्थक-75 साहित्य महोदधि उपाधि से सम्मानित हुए डॉ. वीरेन्द्र निर्झर!

शिक्षा, सेवा, साधना का सम्मान

अमृत महोत्सव सार्थक-75 साहित्य महोदधि उपाधि से सम्मानित हुए डॉ. वीरेन्द्र निर्झर!

बुरहानपुर(न्यूज़ ढाबा)–दिनांक 15 सितम्बर, 2024, ख्यातिप्राप्त साहित्य सर्जक, शिक्षाविद्‌, नवगीतकार डॉ. वीरेन्द्र निर्झर का 75वर्ष पूर्ण होने पर- डॉ. वीरेन्द्र निर्झर अमृत महोत्सव सार्थक-75 के रूप में जैन विद्या एवं प्राकृत शोध संस्थान में श्रीमती माधुरी पटेल, महापौर के मुख्यातिथ्य एवं पूर्व महापौर श्री अतुल पटेल, पार्श्व ज्योति मंच के अध्यक्ष श्री राजेशचान्दमल जैन, जैन हैप्पी स्कूल के कोषाध्यक्ष श्री विमलकुमार पाटनी एवं समाजसेवी श्री दिलीपकुमार पहाड़िया के विशिष्ट आतिथ्य में मनाया गया। अमृत महोत्सव की संयोजना साहित्यकार डॉ.सुरेन्द्र जैन भारती ने की थी।

महापौर श्रीमती माधुरी पटेल ने डॉ. वीरेन्द्र निर्झर के सुदर्शन व्यक्तित्व एवं कवित्व की प्रशंसा की और कहा कि आपका अमृत महोत्सव आपकी प्राध्यापकीय सेवाओं एवं प्रखर रचनाधर्मिता का सम्मान है। हमें इस बात का गर्व है कि आप सुदूर महोबा (उ.प्र.) से हमारे नगर बुरहानपुर में आकर अपनी शैक्षणिक सेवाएं दे रहे हैं। महापौर श्रीमती माधुरी पटेल ने नगर की ओर से विधायक प्रतिनिधि श्री अतुल पटेल के साथ डॉ. वीरेन्द्र निर्झर का शॉल, श्रीफल, पुष्प गुच्छ से सम्मान किया।

इस अवसर पर डॉ. वीरेन्द्र निर्झर के लिए साहित्य महोदधि उपाधियुक्त अभिनन्दन पत्र भेंटकर सम्मानित अतिथियों एवं नागरिकों ने अभिनन्दन किया।

पूर्व महापौर श्री अतुल पटेल ने डॉ. वीरेन्द्र निर्झर एवं डॉ. सुरेन्द्र जैन के हिन्दी भाषा ज्ञान एवं रचनात्मक कौशल की प्रशंसा करते हुए कहा कि नगर पालिक निगम के प्रत्येक रचनात्मक, साहित्यिक कार्यों में आप गुरुजनों का लेखन एवं वैचारिक सहयोग मिलता है। हम आपके लिए परिवार की तरह हैं। आपसे हमने सदा सीखा है और प्रेरणा प्राप्त की है। आप हमारे लिए अभिनंदनीय हैं।

पार्श्व ज्योति मंच के अध्यक्ष श्री राजेशचन्द्रमल जैन ने डॉ. वीरेन्द्र निर्झर की अकादमिक सेवाओं का उल्लेख किया और कहा कि यहाँ उपस्थित उनका शिष्य समुदाय उनकी गौरव गाथा स्वयं गा रहा है। आप शतायु हों; ऐसी हम सब की कामना है।

गीतकार ठा. वीरेन्द्रसिंह चित्रकार ने कहा कि कविकुल श्रेष्ठ डॉ. निर्झर जी मेरी दृष्टि में वैसे ही हैं जैसे- साहित्य के सेवासदन, नवगीतों के सरवर। सागर में मोती हों जैसे, कविता में निर्झर। कवयित्री स्नेहलता सेठिया ने अपनी कविता के माध्यम से कहा कि सुनने और सुनाने वाले, ऐसे हैं गुरुवर। उन्होंने डॉ. वीरेन्द्र निर्झर की कविताओं को प्रेरक बताया।

महोत्सव में सरस्वती वंदना शिवानी ने, गुरुवंदना एवं अभिनंदन गीत प्रो. सोनाली चौधरी ने तथा गुरु के सम्मान में सांस्कृतिक नृत्य-भावांजलि ममता साहू ने प्रस्तुत की। डॉ. वीरेन्द्र निर्झर का परिचय डॉ. सुरेन्द्र जैन ने दिया। इस अवसर पर सम्मानित अतिथियों द्वारा डॉ. वीरेन्द्र निर्झर का तिलक, शॉल, श्रीफल, अभिनन्दन पत्र एवं शताधिक मोती मालाओं से सम्मान किया गया। सभी अतिथियों का सम्मान मोतीमालाओं, पुष्पगुच्छों एवं डॉ. वीरेन्द्र निर्झर, डॉ. सुरेन्द्र जैन एवं डॉ. उर्मिला चौकसे का साहित्य भेंटकर किया गया। संचालन कथाकार अनिल मिश्रा क्रान्ति ने किया।

महोत्सव में चन्द्रभानसिंह वर्मा, वैद्य सुभाष माने, युवराज मिस्त्री, डॉ. रामदास चौधरी, राकेश श्रीवास्तव, रमेश शुक्ला, राजीव सोनी, डॉ. उर्मिला चौकसे, कैलाश जयवंत, श्याम ठाकुर, प्रो. शशिकान्त दुबे, डॉ. सुनील दीक्षित, डॉ. अभिलाषा पाण्डेय, संगीता ठाकुर, स्नेहलता सेठिया, राशि बोथरा, भावना शैलेश राऊत, शैलेश दलाल, वाय.एस. दुबे, शिल्पी सोनी, इन्द्रा जैन, शोभा जैन, प्रो. स्वाति गुप्ता, अश्विनी महाजन, वासुदेव खरचे, ज्योति मराठे, मनीष सरोज, सुनीता चौकसे, प्रेमलता सांखले, प्रवीण झुंझारके आदि अनेक आदि अनेक गणमान्यजन उपस्थित थे।

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