भोपाल में हुआ ताप्ती मेगा रिचार्ज परियोजना का हुआ प्रस्तुतिकरण!
बुरहानपुर(न्यूज ढाबा)–देश व दुनिया की एक अभिनव एवं अजूबी ‘‘ताप्ती मेगा रिचार्ज परियोजना‘‘ को मूर्तरूप दिलाने हेतु पूर्व मंत्री एवं विधायक श्रीमती अर्चना चिटनिस (दीदी) लगातार प्रत्यनशील है। श्रीमती चिटनिस के विशेष आग्रह पर भोपाल में परियोजना का प्रस्तुतिकरण हुआ। इसमें विस्तार से परियोजना को लेकर हो रही शंकाओं का समाधान किया गया। श्रीमती चिटनिस ने कहा कि परियोजना को मूर्तरूप दिलाने हेतु आगे की कार्यवाही सुनिश्चित की जाएगी।
बैठक में नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के अभियांत्रिकी सदस्य, तापी सिंचन विकास कार्पोरेशन जलगांव महाराष्ट्र के कार्यपालक निदेशक एवं मुख्य अभियंता, भोपाल जल संसाधन विभाग प्रमुख अभियंता, नर्मदा ताप्ती कछार जल संसाधन विभाग के मुख्य अभियंता, जल संसाधन विभाग बोधी के मुख्य अभियंता, केंद्रीय भू-जल बोर्ड भोपाल के क्षेत्रीय निदेशक, केंद्रीय भू जल बोर्ड नागपुर के क्षेत्रीय निदेशक, जल संसाधन परियोजना मंडल जलगांव के अधीक्षण यंत्री, भू-जल विद सर्वेक्षण मंडल भोपाल के अधीक्षण यंत्री, जल संसाधन मंडल खरगोन के अधीक्षण यंत्री, जल संसाधन संभाग बुरहानपुर के कार्यपालन यंत्री एवं जल संसाधन विशेषज्ञ जलगांव के व्ही.डी.पाटिल सहित महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के परियोजना से संबंधित अधिकारीगण उपस्थित रहे। ज्ञात हो कि श्रीमती अर्चना चिटनिस ने जल संसाधन विभाग मंत्री तुलसीराम सिलावट सहित उच्चाधिकारियों से महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश के जल संसाधन विभाग सहित अन्य संबंधित अधिकारियों की उपस्थिति में एक संयुक्त बैठक कर परियोजना के प्रस्तुतिकरण हेतु अनुरोध किया गया था। जिसके बाद उक्त बैठक आयोजित कर आगे की कार्यवाही सुनिश्चित की गई।
बैठक में श्रीमती अर्चना चिटनिस ने बुरहानपुर सहित महाराष्ट्र के 5 जिलों की जीवन रेखा ताप्ती मेगा रिचार्ज योजना की विस्तृत जानकारी देते हुए योजना के जमीन पर मूर्तरूप दिलाने हेतु विगत किए गए प्रयासों और कार्यों से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि यह वृहद जल पुनर्भरण योजना मध्यप्रदेश तथा महाराष्ट्र के लिए महत्वपूर्ण योजना है एवं इससे क्षेत्र के समग्र विकास हेतु जल की उपलब्धता सुनिश्चित होगी।
विधायक श्रीमती अर्चना चिटनिस ने ताप्ती कछार में स्थित अदभूत भूजल गर्भीय संरचना के बारे में जानकारी से अवगत कराते हुए कहा ताप्ती कछार में सतपुड़ा पर्वत की तलहटी में ताप्ती नदी तथा सतपुड़ा पर्वत श्रृंखला के समानांतर ‘‘भूभ्रंश‘‘ (फाल्ट) है। इसी भूभ्रंश से सटकर अत्यंत पाझर (परमेबल) ‘‘बजाड़ा झोन‘‘ (बजाडा झोन) पाया गया है। प्रकृति की इस विशेषता के कारण बरसात में स्थानीय नदी नालों का पानी अधिकांश भू-जल को पुनर्भरित करता चलता हैं। भारत सरकार के भू-जल बोर्ड ने इस आश्चर्यजनक फेनोमीनन को देखते हुए संशोधन पुस्तिका प्रकाशित कर बताया है कि ताप्ती के बरसाती बाढ़ के पानी को इस भूभ्रंश से सटकर चलाया जाए तो बड़े पैमाने पर भू-जल रिचार्ज हो सकता है ऐसा निष्कर्ष भू-जल बोर्ड द्वारा निकाला गया।
श्रीमती चिटनिस ने कहा कि दिसंबर 2014 में भारत सरकार ने ‘‘टास्क फोर्स‘‘ का गठन किया गया था। जिसने टेक्निकली फिजिबिलीटी प्रमाणित करते हुए यह निष्कर्ष निकाला कि ‘‘मेगा रिचार्ज परियोजना ‘‘एक लाख मिलियन लिटर्स (30 टीएमसी) पानी पुनरभरण करने वाली दुनिया की अद्वितीय परियोजना है। यह मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र राज्य का संयुक्त उपक्रम है जो केला उत्पाद क्षेत्र के लिए एक वरदान साबित होगी। श्रीमती चिटनिस ने कहा कि मेरा ही नहीं बल्कि सभी का दृढ़ विश्वास है कि ऐसी अद्भुत, अद्वितीय एवं आवश्यक परियोजना का क्रियान्वयन सभी के सहयोग से संभव हो सकेगा।
*परियोजना देश व दुनिया की एक अभिनव एवं अजूबी*
श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि यह परियोजना देश व दुनिया की एक अभिनव एवं अजूबी परियोजना होने वाली हैं। इस परियोजना में महाराष्ट्र के धारणी से ताप्ती नदी के दोनों कछार से नहरे बननी है। दोनों ओर की नहरे ताप्ती कछार में स्थित भूभ्रंश (फाल्ट) के नजदीक से गुजरने वाली है तथा इन नहरों के माध्यम से कंट्रोलेड भूजल पुनर्भरण प्रस्तावित हैं। पुनर्भरण संरचना भू स्तर को ध्यान में रखते हुए केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) के वैज्ञानिक निर्धारित करेंगे। इस प्रकार भूगर्भ की संरचना का आधार लेकर लगभग 90 हजार करोड़ लीटर (30 टीएमसी) पानी का हर वर्ष पुनर्भरण होना हैं। भारत सरकार के निर्देश पर एवं मध्यप्रदेश व महाराष्ट्र दोनों के निरंतर प्रयास से वापकोस नई दिल्ली कार्यालय द्वारा डीपीआर तैयार कर दिया गया है। जिसमें मध्यप्रदेश का 1.23 लाख हेक्टेयर एवं महाराष्ट्र का 2.34 लाख हेक्टेयर पुनर्भरण से लाभान्वित होने वाला है तथा 48 हजार हेक्टेयर सीधी सिंचाई से लाभ होगा। जिससे मध्यप्रदेश के बुरहानपुर एवं खंडवा तथा महाराष्ट्र के जलगांव, बुलढाणा, अकोला और अमरावती जिले के क्षेत्र सम्मिलित है।
श्रीमती अर्चना चिटनिस ने कहा कि इस परियोजना अंतर्गत पुनर्भरण से जलस्तर बढ़ना, भूजल गुणवत्ता सुधार, महाराष्ट्र के विदर्भ के खारपण पट्टा में क्षारों की तीव्रता (डेल्यूशन) कम होकर भूजल उपयुक्तता बढ़ाना, तालाब से सीधी सिंचाई होना एवं पर्यावरण का संरक्षण व संवर्धन होने का ध्येय निश्चित है। इस पर योजना की अनुमानात लागत रु. 19 हजार करोड़ के आसपास है तथा समुचित लाभांश क्षेत्र 3.57 लाख हेक्टेयर है। इस योजना का लाभव्यय रेशों 2.05 है जो कि बहुत अच्छा समझा जाता है।