कानून के विद्यार्थियों के लिए केजरीवाल केस शौध और अनुसंधान के नए रास्ते खोजने वाला बनेगा , आगे विधि आयोग के लिए भी कई प्रश्न विचार के लिए आएंगे।
बुरहानपुर (न्यूज ढाबा)–यह विचारणीय है कि अगर कोई मुख्यमंत्री देश छोड़कर भाग जाए तो क्या वह विदेश से शासन चला सकता है? क्योंकि विधानसभा में तो उसका बहुमत बना हुआ है. कोई कानून भी नहीं है ऐसे मुख्यमंत्री को हटाने का. …तो क्या मुख्यमंत्री वहीं से पत्नी को ह्वाट्सऐप भेजकर संदेशा पहुंचाता रह सकता है …क्या अब जेल से भी व्हाट्स एप सन्देशों से देश मे सरकारें चलेंगी ?
संविधान निर्माताओं ने कब सोचा था कि भविष्य में भारत के किसी राज्य में कोई ऐसा कथित बेशर्म निर्लज्ज सत्ता का लालची अराजक मुख्यमंत्री भी आएगा जो जेल जाने से पहले या हाइकोर्ट के निर्णय के बाद भी इस्तीफा नहीं देगा.. उच्च न्यायालय द्वारा गिरफ्तारी को वैध ठहराने और कठोर टिप्पणियों के बाद भी त्यागपत्र नही देगा ….हमारे संविधान निर्माताओ को ऐसी कल्पना भी नही आई होगी …कि राजनीति में नैतिकता का इतना ह्रास हो सकता है शायद इसलिए संविधान में साफ-साफ नहीं लिखा. बहुत गंभीर सवाल है. जेल से सरकार चलाए जाने के बाद इसकी नौबत आ ही सकती है.
केजरीवाल से पहले सभी आरोपी मुख्य मंत्रियों ने त्यागपत्र दिया है …स्वयम केजरीवाल ने मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन का मंत्रिपद से इस्तीफा लिया है …दिल्ली के दो दलित मंत्रियों का छोटी सी बात पर इस्तीफा लिया है … सबने इस्तीफा दे दिया था. पर केजरीवाल गजब बेशर्म हैं! कुर्सी का इतना भी मोह नही होना चाहिए … 12 साल पहले केजरीवाल की नजर में कांग्रेस भारत की सबसे भ्रष्ट पार्टी थी. आज उसी कांग्रेस पार्टी का अभिषेक मनु सिंघवी, जिसके नैतिक मानदंडों के बारे में सार्वजनिक तौर पर कुछ भी कहना ठीक नहीं होगा, अरविंद केजरीवाल का वकील है. समय चक्र इसे ही कहा गया है.
केजरीवाल के शराब घोटालें पर दिल्ली हाई कोर्ट का पूरा ऑर्डर पढ़ने योग्य है :
कोर्ट ने साफ़ कहा है कि केजरीवाल प्रथम दृष्टया शराब घोटाले में , रिश्वत लेने में , हवाला लेन देन के अपराध में शामिल हैं ,पार्टी भी सह अपराधी है ।
कोर्ट ने ये भी कहा कि शराब घोटालें में केजरीवाल की गिरफ़्तारी क़ानूनन एक सही कदम है
कोर्ट ने कहा कि केजरीवाल बार बार बुलाने के बाद भी ED के सामने नहीं गये , इसके कारण शराब घोटालें के अन्य आरोपियों को लंबे समय तक जेल में रहना पड़ रहा है , जाँच में देरी हुई, अक्टूबर से उसे बुलाया जा रहा था ,इसलिए चुनाव के टाइम गिरफ्तारी की बात महत्वहीन है ।
कोर्ट ने कहा कि क़ानून एक आम आदमी और एक सीएम के लिए समान है और केजरीवाल को ये बात समझनी होगी
कोर्ट ने केजरीवाल के वकीलों के हर तर्क का जवाब दिया और केजरीवाल को नसीहत भी दी
कोर्ट ने कहा कि शराब घोटालें का पैसा नहीं मिला ये तर्क झूठ है , पैसा हवाला के माध्यम से राजनीतिक इस्तेमाल हुआ ऐसा दिखाई देता है ,जिसके प्रमाण हैं।
कोर्ट ने ये भी कहा कि आम आदमी पार्टी द्वारा गवाहों की विश्वसनीयता पर उठाए सवाल आधारहीन है और ऐसा लगता है कि साथ मिलकर घोटाला करने बाद अब गवाही देने वालों को धोखेबाज़ साबित करने की कोशिश की जा रही हैं
हाई कोर्ट ने सब लिखित ऑर्डर में दिया है ,अब इस्तीफ़ा देने के अलावा केजरीवाल के पास कोई विकल्प नहीं बचा है।
केजरीवाल को पद से हटाने की याचिकऐं माननीय न्यायालय ने इस आधार पर निरस्त की हैं कि केजरीवाल को पद से हटाने का काम कोर्ट का नही है , यह काम या तो स्वयम आम आदमी पार्टी करेगी या दिल्ली के गवर्नर को नियमानुसार करना चाहिए ।
….अब मेरा जो अनुमान है वो यह है कि अंतिम समय तक ये कुर्सी से चिपका रहेगा …राष्ट्रपति शासन पर अंतिम नोटशीट बनने के बाद ये अपनी पत्नी को कुर्सी पर बैठाएगा…परन्तु वो अभी विधायक नही है …तो छह महीने बाद उपचुनाव में जाना पड़ेगा…लेकिन 4 जून के बाद आम आदमी पार्टी में कोई नया नेतृत्व उभर सकता है या आम आदमी पार्टी भी चूंकि कोर्ट में शराब दलाली में पार्टी है तो निर्वाचन आयोग उसकी मान्यता भी खत्मकर सकता है
…अब सुप्रीम कोर्ट के भी आदेश की प्रतीक्षा है ,जहां पता नही केजरीवाल की हाइकोर्ट के निर्णय के विरुद्ध अपील पर मिलार्ड किस संविधान का कौनसे नियमो से निर्वचन या व्याख्या कर निपटारा करेंगे … –
डॉ विश्वास चौहान