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Saturday, November 23, 2024

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“जीना इसी का नाम है” चार दिवसीय शिविर आज से प्रारंभ ओशो आचार्य शैलेंद्र सरस्वती और आरती प्रिया देंगे आध्यात्मिक ज्ञान।

जीना इसी का नाम है चार दिवसीय शिविर आज से प्रारंभ ओशो आचार्य शैलेंद्र सरस्वती और आरती प्रिया देंगे आध्यात्मिक ज्ञान।

बुरहानपुर(न्युज धाबा)–जीना इसी का नाम है, 4 दिवसीय शिविर का आयोजन मेक्रो विजन स्कुल बुरहानपुर में 29 दिसंबर 23 से प्रारम्भ हो रहा है, इस शिविर में ध्यान, मेडिटेशन के लिये बुरहानपुर पधारे आध्यात्मिक गुरु स्वामी शैलेंद्र सरस्वती ने प्रेस से चर्चा में बताया कि नरक में जीना हो जाना नही है, ना ही नकल करके अनुयायी बनकर जीना चाहीए, हमें जीना है तो विवेक से जीना चाहीए इसके लिए साहस और संकल्प की आवश्यकता होती हैं। इस दौरान मां अमृत प्रिया ने भी पत्रकारों के समक्ष ध्यान, योग, मेडिटेशन पर अपनी बात रखी। स्वामी शैलेंद्र सरस्वती ओशो रजनीश के छोटे भाई है, जिनका रुझान बचपन से ध्यान के प्रति रहा पश्चात आपने डाक्टरी कर अनेक वर्षों तक लोगों का उपचार किया!

फिर अचानक पत्नी के साथ ध्यान, आध्यात्म को जीवन समर्पित कर दिया। देश और दुनिया में ध्यान, मेडिटेशन के माध्यम से जोवन जीने की कला, आध्यात्म को शिविर के माध्यम से प्रतिपादीत करने में जुटे हैं आपने पत्रकारों के सवालो का बड़ी ही बेबाकी से जवाब भी दिया। उन्होने बताया कि देश और दुनिया के लिए अबूझ पहेली रहे आध्यात्मिक गुरु आचार्य रजनीश सदैव अनसुलझी पहेली रहे है। अधिकांश लोगों का मानना था कि ओशो की लोकप्रियता से डरी अमेरिकी सरकार ने उन्हें बारह दिन जेल में रखा था। इस दौरान उन्हें धीमा जहर दिया गया, जिससे 1990 में उनकी मृत्यु हो गई थी। आचार्य रजनीश के छोटे भाई और आध्यात्मिक गुरु स्वाभी शैलेंद्र सरस्वती ने इस मान्यता को नकारते हुए कहा है कि ओशो को मृत्यु से दस माह पूर्व हो खुद के दुनिया छोड़ते का आभास हो गया था। अपने प्रवचन के दौरान भी और इस अवधि में लिखी गई किताबों में भी इस बात का जिक्र किया था। हालांकि विशेष उनकी मौत के लिए रेडिएशन को जिम्मेदार मानते है। आपने कहा कि आचार्य रजनीश को दस माह पूर्व हो गया था दुनिया छोडने का आभास, छोटे भाई शैलेंद्र सरस्वती का कआचार्य रजनीश को दस माह पूर्व हो गया क दुनिया छोडने का आभास। छोटे भाई शैलेंद्र का दावा उन्होंने कहा कि ओशो ने जो खुद अनुभव किया वही ज्ञान औरों को दिया। इसीलिए उन्हें विरोध का सामना भी करना पड़ता था।इस दौरान शिक्षाविद आनंद प्रकाश चैकसे, मंजूषा चैकसे भी मौजूद थीं। उन्होंने बताया कि इस ध्यान योग शिविर में मुंबई, दिल्ली सहित कई शहरों से लोगों का रजिस्ट्रेशन हो चुका है।

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