आर.पी.श्रीवास्तव (जिला संवाददाता न्यूज़ धाबा)
आखिर कौन है भाजपा का गद्दार ? पार्टी के प्रति समर्पित कार्यकर्ता बंधुओं- सादर प्रणाम
बुरहानपुर (न्यूज़ढाबा)–कुछ दिनों से खासकर विधानसभा चुनाव से बुरहानपुर जिले में कुछ तथाकथित लोग पार्टी कार्यकर्ताओं को गद्दार, पार्टी विरोधी करार दे। नेताओं के वफादार होने का दिखाबा कर रहे हैं। जबकि वो खुद अपनी सुविधाओं के हिसाब से पाला और गुट बदलते रहे हैं। वो पार्टी के तो छोडो किसी नेता के भी कभी वफादार नहीं रहे। बुरहानपुर का पार्टी का आम कार्यकर्ता बाखूबी ये सब बात जनता है।
कहते हैं कि “जब बात निकली है तो बहुत दूर तक जायेगी।” “इतिहास खुद को दोहराता जरूर है।” याद करिये 2008 की ताप्ती नदी के किनारे का वो होटल रिवरव्यू जहां एक भाजपा की मीटिंग में नेपानगर से आये नेता को बाहरी बता कर, कौन कौन असंसदीय भाषा का उपयोग कर, बत्तमीजी कर रहा था। और कौन उस समय साथ खडा था? वहीं आज ये तथाकथित नेता भाजपा के प्रति समर्पित होने का ढोंग कर रहे हैं। इतना ही नहीं बफादारी का राग अलाप विधवा विलाप करते नहीं थक रहे हैं। ये न समझना कि भाजपा कार्यकर्ताओं की याददाश्त कमजोर होती है। और याद दिला दूं। ये वही लोग हैं जिनको नगर निगम चुनाव में, पार्षद का पार्टी द्वारा टिकट नहीं दिये जाने पर- पार्टी अधिकृत प्रयाशी के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लडा। तब क्या ये गद्दारी नहीं थी। 2009 के लोकसभा चुनाव के साथ ही अब 2018 के विधानसभा चुनाव की बात याद दिला रहा हूं। 2018 के विधानसभा चुनाव में भाजपा अधिकृत प्रत्याशी के साथ ईमानदारी और समर्पण भाव से कौन कौन काम कर रहा था? कौन कौन खुलेआम ट्रेक्टर चला रहे थे। पार्टी विरोधी काम कर रहे लोगों ने,क्या भाजपा के पीठ में चुरा नहीं भौंका गया था। जिन्होंने साथ दिया वो कौन थे? उस समय गद्दारी करने वाले खुद को भाजपा का ईमानदार कार्यकर्ता बता रहे हैं। क्या इतनी जल्दी भूल गए नेता जी गद्दारों को। ठीक इसी तरह पिछले नगर निगम चुनाव में शास्त्री वार्ड में भाजपा अधिकृत प्रत्याशी के खिलाफ कौन काम कर रहा था। क्या ये गद्दारी नहीं थी? क्या कार्यकर्ताओं को नहीं मालूम है। याद रखना समय बहुत बलवान होता है।वक्त बदलते देर नहीं लगती है। जिनके घर कांचे हैं वो ही दूसरों पर पत्थर फैक रहे हैं। क्यों पार्टी को पलीता लगा रहे हो। लगता है कि कुछ लोगों की करतूतें पार्टी को बुरहानपुर मे गर्त की राह पर ले जा सकती हैं। वरिष्ठता नेताओं और संगठन को समय रहते ध्यान देना होगा। जो दूरदर्शी होते हैं वो तत्कालीन लाभ को नहीं देखते, दूर की दृष्टि रखते हैं। सबका सबका विकास की बात करते हैं। मौसम की तरह नहीं बदलते। कार्यकर्ताओं की व्यक्तिगत नाराजगी हो सकती है। मगर भाजपा के लिए नहीं। मजे की बात तो ये है कि जो हमाम मे खुद ही नंगे हैं वही ईमानदारी का पाठ पढा रहे हैं। उनके परिवार में भी झांक कर देखोगे तो कोई कांग्रेस मे तो कोई भाजपा का सुख भोगता आया है। आगे भविष्य बतायेगा कि कौन भाजपा का है और कौन खिलाफ में रहेगा।
संगठन को पार्टी को परम शिखर पर ले जाना है तो सच्चाई को समझना जरुरी है। “समर शेष है नहीं पाप का भागी केवल व्याघ्र, जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनके भी अपराध”
जय श्री राम।
आर. पी. श्रीवास्तव (जिला संवाददाता न्यूज़ ढाबा बुरहानपुर)